हम उन बातॊं कॊ याद करेंगें जॊ हम अक्सर भुला दिया करते हैं। हम याद करेंगं उनकॊ जॊ यादॊ से ताजा हॊते है हम बात करेंगे उनकी जॊ यादॊं में ही खॊये रहते है
Friday, January 25, 2008
Saturday, January 19, 2008
नही रहा अब पहले जैसा
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
वह झरनों का झरना
कल कल बहती नदिया
और कोयल का कुकना
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
मेरा बचपन कल का खेल खिलौना
कभी झाडियों मी छुप इधर उधर मडराना
कभी खेतो की मेढो पर मटर की फलिया खाना
गहू की वे बाले यू हवा मी लहराना
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
गाव कि गोरी जाती पनघट
कुछ कूए पर बैठी करती खटपट
कही दूर बैलो कि घंटी
बजती जैसे दुल्हन की पायल
तरूनो को उसकी आवाजे
विरहन सी करती घायल
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
नीम डाल पर लगा हिडोला युवती गाना गाती
भोला बैठा उच् मचान उसकी बंसी मधुर है बजती
राम राम कह लाला जी धन का ऐठ दिखाते
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
गाव के मुखिया वंसी काका दया धरम की मूरत
जैसा उनका सबसे प्रेम भाव उतनी सुंदर शिरत
रोज सवेरे उठ कर भैया अखाडे मे है जाते
उतर कमीज खुटी पर दो सौ दंड लगाते
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
मिट्टी की खुशबू सोंधी सोंधी देती हमको सोना
नही रहा अब पहले जैसा यही तो है अब रोना
प्रेम भाव और भाई चारा लगता है अब सपना
हर गली मोहल्ला मी अब मारा मरी पड़ता है अब सुनना
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
सुन्दर सुघर सलोना
वह झरनों का झरना
कल कल बहती नदिया
और कोयल का कुकना
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
मेरा बचपन कल का खेल खिलौना
कभी झाडियों मी छुप इधर उधर मडराना
कभी खेतो की मेढो पर मटर की फलिया खाना
गहू की वे बाले यू हवा मी लहराना
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
गाव कि गोरी जाती पनघट
कुछ कूए पर बैठी करती खटपट
कही दूर बैलो कि घंटी
बजती जैसे दुल्हन की पायल
तरूनो को उसकी आवाजे
विरहन सी करती घायल
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
नीम डाल पर लगा हिडोला युवती गाना गाती
भोला बैठा उच् मचान उसकी बंसी मधुर है बजती
राम राम कह लाला जी धन का ऐठ दिखाते
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
गाव के मुखिया वंसी काका दया धरम की मूरत
जैसा उनका सबसे प्रेम भाव उतनी सुंदर शिरत
रोज सवेरे उठ कर भैया अखाडे मे है जाते
उतर कमीज खुटी पर दो सौ दंड लगाते
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
मिट्टी की खुशबू सोंधी सोंधी देती हमको सोना
नही रहा अब पहले जैसा यही तो है अब रोना
प्रेम भाव और भाई चारा लगता है अब सपना
हर गली मोहल्ला मी अब मारा मरी पड़ता है अब सुनना
नही रहा अब पहले जैसा
सुन्दर सुघर सलोना
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