आज मैं फिर ब्लॉग खोल कर बैठा हूँ
कुछ लिखने का मन कहता है
कुछ कहने को मन कहता है
लेकिन क्या कहू कुछ याद नही आता??
चलिए मैं अपने यादों के झरोखे से कुछ कहता हु
आप को भीगी आंखों का एक
नजराना पेश करता हूँ
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माँ तेरी याद आती है
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माँ तेरी याद आती है
मेरे दिल के तारों को छू जाती है
तुझसे मिलने को उकसा जाती है
तू जब रोज़ मुझे सपनो में जगाती है
माँ तेरी याद आजाती है
ऐसा तब क्यों न था
जब मै पास था तेरे
सायद तुझे महसूस कर न पाया था
तुझे दिल में टटोल न पाया था
तेरी जरूरत को समझ न पाया था
अब जब दूर हूँ तुझसे तो
माँ तेरी याद आती है
मेरे दिल के तारों को छू जाती है
जब मैं तुझ से बातों बातों में लड़ा करता था
हर बात पर रूठ जाया करता था
क्या पता था उस समय कि तुझसे
दूर इतना होजाऊंगा
कि तुझे याद करके भी ना रो पाउँगा
माँ तेरी याद आती है
मेरे दिल के तारों को छू जाती है
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माँ तेरी याद आती है
मेरे दिल के तारों को छू जाती है
तुझसे मिलने को उकसा जाती है
तू जब रोज़ मुझे सपनो में जगाती है
माँ तेरी याद आजाती है
ma ko kabhi bhula nahi ja sakta hai
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