Sunday, April 19, 2009

बेबस........................जिंदगी

एक जिंदगी थी, जिसे बहुत ही सुंदर बनाया गया था। जब वो इस जग में आई तो बहुत ही खुस दिखाई दे रही थी। उस पर न ही किसी का बोझ था और नही डर, वो तो इस जग में आजाद थी और इस जग में जीवन रूपी प्रेम को बटोर रही थी। उसे क्या पता था की ये उसका दीवाना पन ,सीधापन उसे घोर विपदा में ला फसायेगा ।
एक दिन की बात है। जिन्दगी सुबह मर्म बेला नदी के किनारे टहल रही थी और वहा के प्रकृति का मज़ा ले रही थी, की उतने में वहा ना जाने कहा से एक चंचल मन आगया,
और जिंदगी को वहा टहलते देख हस पड़ा। ये सब देख जिंदगी बड़े कोमल भाव से बोली -- क्यो भाई ऐसे क्यो हस रहे हो भला यहाँ कोई हसने की बात हुई है क्या ?
मन -- नही नही यहाँ हसने की बात नही हुई, मै तो यह देख कर हस रहा हूँ की भला कोई इन निर्जन वादियों को देख कर कैसे खुश हो लेता है, हूँ ..... ये भी कोई मज़ा लेने की जगह है ,
मन की इन बातो को सुनकर जिंदगी बड़ी सरलता से बोली तब कहा मज़ा मिलता है । क्या तुम मुझे बताओगे ??
जिंदगी यह नही जानती थी की वो यह सवाल पूछ कर अपने को बहुत बड़े संकट में डालने जारही है । जिंदगी के सवाल को सुनते ही मन ने उत्तर दिया क्यो नही जरुर लेकिन तुम्हे मुझसे एक वादा करना होगा,
जिंदगी - वोक्या
मन- यह की तुम्हे वहा मेरे साथ चलना पड़ेगा
जिंदगी - हा बाबा मै तुम्हारे साथ ही चलूंगी , अबतो बताओ कहा है वो जगह ,
जिंदगी को अपने वोर खिचता देख मन की आँखे चमक उठी और उसने अपना हाथ उठा कर दुसरे ओर कीतरफ का इशारा किया
मन - उधर है वो जगह जहा पर संसार की सभी खुशिया ,सभी मज़े लुटते है ।
मन की चिकनी चुपडी बातो को सुनकर बोलो बेचारी सीधी सदी जिंदगी उसके चंगुल में फस चुकी थी और उसे अब उसी खुसी का सपना आरहा था जिसके बारे में मन ने उसे अभी अभी बताया था।
कुछा ही देर ठहरने के बाद मन ने जिंदगी से कहा चलो उस ओर चलते है ।
यह सुनकर जिंदगी भी खुश हो गई और मस्ती में झूमते हुवे बोली चलो , और वे दोनों एक तरफ़ निकल पड़ते है
जिंदगी को इसकी भनक भी नही लगी थी की आज जिसके बात को मान कर उसने पहल किया है वही उसको अपना गुलाम बना लेगा और उम्र भर अपनी बात को मनवाएगा इन सभी बातो से जिंदगी अंजन थी । उसी दिन से जिंदगी बेबस हो गयी है ,
लाचार हो गयी है वो,
मन उसे वहा ले जाकर सांसारिक भ्रम में ऐसे फसाया जहा का सुख मज़ा सब पैसा है । जहा सभी sukho आरामो को वहा पैसे से ख़रीदा जाता है। उस जगह पर ja कर जिंदगी सिर्फ़ मन की ही रह गयी । उसको मन अपने
isaro पर nachane लगा


4 comments:

श्यामल सुमन said...

बेबस है जिन्दगीऔर मदहोश है जमाना।
इक ओर बहते आँसू इक ओर है तराना।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

संगीता पुरी said...

उसी दिन से जिंदगी बेबस हो गयी है ,
लाचार हो गयी है वो,
मन उसे वहा ले जाकर सांसारिक भ्रम में ऐसे फसाया जहा का सुख मज़ा सब पैसा है ।
बिल्‍कुल सही।

pritima vats said...

अच्छे तथा impressive पोस्ट के लिए शुक्रिया।

sandy said...

thank you pritima ji